देवियों, सज्जनो!
यह पुस्तकालय स्वतंत्रता संग्राम के कोख से परतंत्रता की बेड़ियों को तोड़ने की चेतना जाग्रित करते हुए 1931 में स्थापित हुआ था । पुराने भवन के धराशायी होने के बाद 1986 में इसके आधुनिक भवन का निर्माण हुआ और तबसे यह आप प्रबुद्धजनों के सहयोग से संचालित और विकसित हो रहा है।यह पुस्तकालय स्वतंत्रता संग्राम के कोख से परतंत्रता की बेड़ियों को तोडने की चेतना जाग्रित करते हुए 1931 में स्थापित हुआ था । पुराने भवन के धराशायी होने के बाद 1986 में इसके आधुनिक भवन का निर्माण हुआ और तबसे यह आप प्रबुद्धजनों के सहयोग से संचालित और विकसित हो रहा है।
खुशी है, इसने पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं के पठनपाठन से और विविध आयोजनों के द्वारा ज्ञानमूलक सामाजिक चेतना को विकसित करने में भागीदारी दी है। निरंतर गतिविधियों के संचालन से इसने राष्ट्रीय पहचान प्राप्त कर ली है जो बिहार और बेगूसराय के सम्मान को ऊंचाई प्रदान किया है।
"भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु" के शहादत के सम्मान में, प्रेमचंद जयंती तथा गाँधी जयंती पर यहां प्रत्येक वर्ष महत्त्वपूर्ण आयोजन होता है। जनभागीदारी के साथ हम यहां प्रतिष्ठित विद्वानों के उद्बोधन से प्रेरणा ग्रहण करते हैं। 23मार्च, पुस्तकालय वार्षिकोत्सव पर "मेधा प्रतियोगिता" के माध्यम से छात्रों को प्रोत्साहित करने का दायित्व पुस्तकालय समिति जिम्मेदारीपूर्वक अदा करती है। "नामवर सम्मान" से भी इस अवसर पर चयनित साहित्यकार को सम्मानित किया जाता है। गीत-संगीत और नाटक का मंचन तो यहां महत्वपूर्ण ढंग से होता ही है।"
हम अनजान नहीं हैं, आज के बुरे समय में हमारे समाज को पूंजीवाद ने भय, भूख, और बेरोजगारी के त्रिदोष से आक्रांत कर दिया है। देश में प्रगति के सारे रास्ते आमजनता की ओर से कटकर कॉरपोरेट घरानों की ओर मुड़ गए हैं। साम्प्रदायिक शक्तियों ने साम्राज्यवादी शक्तियों के गठजोड़ से भारतीय बहुलतावादी संस्कृति को खंड-खंड में विभक्त कर लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर बना दिया है। आज बाजार का हमला ज्ञान पर है। ज्ञान की रक्षा कला, साहित्य और संस्कृति करती है।
अतएव अनुरोध है कि अपने इस सांस्कृतिक जागरण के केन्द्र को जिंदा और गतिशील बनाए रखने के लिए सहयोग प्रदान कर उपकृत करेंगे।
A/c Name - VIPLAVI PUSTKALAY
A/c No.- 1492000100009657
IFSC Code - PUNB0149200
Bank- Punjab National Bank
Branch Address- Godergama,
Po.- Rampur Matihani,
District- Begusarai,
State- Bihar
विप्लवी पुस्तकालय जो एक ऐतिहासिक संस्थान है और हमारे राष्ट्रीय स्वाधीनता संग्राम की उपज है इसको देखना मेरे लिए परम आनंद दायक है मुझे पूरा विश्वास है कि यह संस्थान इस क्षेत्र के जन गन को सदैव देशभक्ति पूर्ण कर्तव्यों के लिए आलोकित एवं प्रेरित करता रहेगा
(25-03-1994)
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज मैंने विप्लवी पुस्तकालय को देखा। जिस बढ़िया ढंग से पुस्तकालय का संचालन किया जा रहा है, उसके लिए मैं पुस्तकालय के संचालक को धन्यवाद देता हूं। उन्होंने कहा कि हमारी शुरू से यह नीति थी कि पुस्तकालयों का जीर्णोद्धार हो। पुस्तकालय सिर्फ नाम के पुस्तकालय नहीं हो बल्कि पुस्तकालय से लोगों को लाभ मिले। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में भी लोगों ने अपने प्रभाव से पुस्तकालय बनाया है। विप्लवी पुस्तकालय बहुत सुव्यवस्थित ढंग से चलाया जा रहा है। इस पुस्तकालय को राज्य सरकार द्वारा विशिष्ट पुस्तकालय का दर्जा दिया गया है। आज उसी के तहत दो लाख का अनुदान पुस्तकालय को राज्य सरकार की तरफ से दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैं शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कहूंगा कि इस पुस्तकालय का उदाहरण सभी जगह दें। बिहार में इसे प्रचारित करें ताकि लोगों को इससे प्रेरणा मिले।
(24-05-2017)
इस चिराग को जलाओ रोशनी मिलेगी
बेगूसराय में एक साल से अधिक समय से पदस्थापित रहने के बावजूद विप्लवी पुस्तकालय गोदरगावाँ को देखने का समय मुझे नहीं मिल पाया। यहाँ आने के बाद मुझे महसूस हुआ कि मैंने कितना बहुमूल्य समय खो दिया।
यह स्थान विश्व की पुरातन भावनाओं को अपने में समेटे हुए है। यहाँ के लोग भूतकाल की सांस्कृतिक एवं भाषाई संवेदनाओं को वर्त्तमान समाज के हमलावर पंजों से बचाने का प्रयास कर रहे हैं जो परिवर्त्तन एवं उन्नयन की खोज में बाधक हैं।
यह समाज अर्थाभाव से पीड़ित है। यदि यह सुखद संस्था को भविष्य में जीवित रखना है तो इस समस्या को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
इस संस्था को स्वस्थ अवस्था में जीवित रखने हेतु साहसिक प्रयास के लिए समिति सदस्यों एवं आमजनों को मैं कोटिशः शुभकामनाएँ देता हूँ।
(14 जुलाई, 2010)
विप्लवी पुस्तकालय के वार्षिकोत्सव को मैं सांस्कृतिक जागरण का अवश्मेध यज्ञ मानता हूँ, और इसीलिए यहाँ आकर पुण्य का अनुभव करता हूँ। जिस भाँति से इसका यहाँ रख-रखाव और व्यवस्था हो रही है, शायद हम अपने घर की व्यवस्था करते हैं।
विप्लवी पुस्तकालय इस क्षेत्र की सबसे बड़ी जागीर है और यह लोक शिक्षण व लोक संस्कृति का यशस्वी केन्द्र बने।
यही शुभ कामनाऐं हैं।
25-09-1989
अक्षत दीपस्तंभ है गोदरगावाँ का यह विप्लवी पुस्तकालय।
गोदरगावाँ-बेगूसराय की इस धरती पर ऐसा अद्भुत पुस्तकालय देखकर मैं चकित हूं। इस गांव का यह दुर्लभ सत्य है और एक विलक्षण अनुभव भी, नई से नई पुस्तक यहां उपलब्ध है- और कोई भी पाठक अपने लेखकों के चित्रों और रचनाओं से यहां मिल सकता है।
यहां आते ही बलिदानी भगत सिंह मिल जाते हैं, राहुल जी, दिनकर जी, नागार्जुन, यशपाल, निराला जी, प्रेमचंद, प्रसाद, रेनू आदि ..... आदि से एक साथ मुलाकात हो जाती है.....
बख्तियारपुर से गुजरा तो उस बख्तियार खिलजी का नाम याद आया, जिसने पुस्तकालयों को जलाया था, नष्ट किया था..... तो यहां अनुभव हुआ की कॉमरेड राजेंद्र राजन ने इस पुस्तकालय की स्थापना कर के निर्माण की परंपरा की पूनर्स्थापना की है। यह है क्रांतिधर्मी-विप्लवी, परिवर्तन कमियों की परंपरा, विप्लव और आंदोलन की परंपरा......।
गोदर गामा पहुंचते ही सृजन के साथ आंदोलन का यह तीर्थ मिला और यह अनुभूति प्रगाढ़ हुई कि 'सपना अभी बाकी है'! और यह सपना पूरा होकर रहेगा।
प्राचीन नालंदा नहीं रहा, पर अब हमारे पास शब्द-संस्कृति का आधुनिक गोदरगावाँ तो है।
(23-3-2003 और 27-2-2004)
मंतव्य
(1)
‘‘अंधकार में एक अविश्वसनीय नक्षत्र की तरह है, गोदरगावाँ का यह विप्लवी पुस्तकालय, ध्रुवतारे की तरह, सूर्य की तरह जगमगाता हुआ। अंधेरे के महासागर में उम्मीद के द्वीप की तरह।’’
- नरेश सक्सेना, कवि (लखनऊ)
23-03-2018
(2)
‘‘यह पुस्तकालय ऐ भारत की निर्मात्री चेतना का प्रतीक और हमारी सांस्कृतिक चेतना का संकेत करनेवाला है।’’
- विश्वनाथ त्रिपाठी, लेखक (दिल्ली)
30-07-2005
(3)
‘‘ लोक शिक्षण एवं जनजागरण का सबसे उपयुक्त मार्ग विप्लवी पुस्तकालय दिखा रहा है।’’
- ए॰बी॰वर्द्धन,
(महासचिव, सी॰पी॰आई॰)
(01-10-2000)
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